बाल गीत : बापू तुम्हें कहूं मैं बाबा, या फिर बोलूं नाना?


बापू तुम्हें कहूं मैं बाबा, या फिर बोलूं नाना?
सपनों में आ कर के मेरे चुपके से बतलाना।।

छड़ी हाथ में लेकरके तुम, सदा साथ क्यों चलते?
दांत आपके कहां गये, क्यों धोती एक पहनते?

हमें बताओ आखिर कैसे, तुम खाते थे खाना?
सपनों में आ कर के मेरे चुपके से बतलाना।।

टीचर कहते हैं तुमने भारत आज़ाद कराया।
एक छड़ी से तुमने था दुश्मन मार भगाया।

कैसे ये हो गया अजूबा मुझे जरा समझाना।
सपनों में आ कर के मेरे चुपके से बतलाना।।

भोला–भाला सा मैं बालक, अक्ल मेरी है थोड़ी।
कह देता हूं बात वही जो, आती याद निगोड़ी।

लग जाए गर बात बुरी तो रूठ नहीं तुम जाना।
सपनों में आ कर के मेरे चुपके से बतलाना।


जाकिर अली 'रजनीश'

2 comments:

Dr. Zakir Ali Rajnish said...

इस कविता को यहां पर स्‍थान देने के लिए शुक्रिया।

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एक रोचक बाल उपन्‍यास...

Dr. Zakir Ali Rajnish said...

यदि संभव हो, तो 'इन्‍हें भी पढ़ें' कॉलम में बालमन को भी जगह दें।

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