कविता : आओ हम भी करें दोस्ती



              
आओ हम भी करें  दोस्ती
      जॆसे स्टेशन ऒर  रेल की
      आओ हम भी  करें दोस्ती
      जॆसी अपनी ऒर खेल की।

      कहानी  ऒर  कविता  वाली
      पुस्तक भी तो कितनी प्यारी
      जी करता हॆ  पुस्तक से भी
      करें  दोस्ती  प्यारी  प्यारी।

      एक  सीक्रेट  चलो  बताएं
      टीचर जी भी दोस्त  हमारी
      साथ खेलतीं   हमेँ  पढ़ातीं
      कितनी अच्छी दोस्त हमारी।

      नहीँ  जानते  अरे  दोस्ती
      चॉकलेट सी क्यों है लगती
      सच्ची सच्ची अरे   दोस्ती
      हमेँ  केक सी मीठू  लगती।

      कितना मजा हमारा होता
      अगर दोस्त तारे बन जाते
      उनके जन्मदिनों पर जाकर
      ढ़ेर  खिलौने हम  दे आते

क्यों मन  करता सब बच्चों से
      करें दोस्ती  प्यारी  प्यारी
      क्योँ मन  करता कभी किसी से
      हो कुट्टी न कभी   हमारी।

 -दिविक रमेश

     

       
     

     


        

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