कविता : अम्बर से धरती पर तारे !




अम्बर से धरती पर तारे ! 

जगमग-जगमग करते दीपक 
लगते कितने मनहर प्यारे,
मानों आज उतर आये हैं 
अम्बर से धरती पर तारे ! 

दीपों का त्योहार मनुज के
अतंर-तम को दूर करेगा,
दीपों का त्योहार मनुज के
नयनों में फिर स्नेह भरेगा ! 

धन आपस में बाँट-बूट कर 
एक नया नाता जोड़ेंगे,
और उमंगों की फुलझड़ियाँ
घर-घर में सुख से छोड़ेंगे ! 

दीपावलि का स्वागत करने
आओ हम भी दीप जलाएँ,
दीपावलि का स्वागत करने 
आओ हम भी नाचे गाएँ !


     परिचय
नाम :डॉ. महेंद्र भटनागर
जन्म :२६ जून १९२६ / झाँसी (उत्तर-प्रदेश)
शिक्षा :एम.ए. (१९४८)पी-एच.डी. (१९५७) नागपुर विश्वविद्यालय से।
कार्य :कमलाराजा कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय / जीवाजी विश्वविद्यालयग्वालियर से प्रोफेसर-अध्यक्ष पद से सेवानिवृत्त।
सम्प्रति :शोध-निर्देशक - हिन्दी भाषा एवं साहित्य।
कार्यक्षेत्र :चम्बल-अंचलमालवांचलबुंदेलखंड।

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