सेहतनामा : दांतों की सफाई


बर्तनों की तरह न रगड़ें अपने दांतः डा. अमित


यूं तो हर खाने के बाद ब्रश करना चाहिए, लेकिन ऐसा थोड़ा मुश्किल है। मगर हर बार खाना खाने के बाद कुल्ला जरूर करना चाहिए। ज्यादातर बच्चे दांतों को बर्तन की तरह रगड़ते हैं, जोकि गलत है। इससे दांत घिस जाते हैं और दांतों में ठंडा-गर्म लगने लगता है। आमतौर पर लोग जिस तरह दांत साफ करते हैं। उससे 60-70 फीसदी ही सपफाई हो पाती है।
दांतों को हमेशा नरम ब्रश से हल्के दबाव के साथ धीरे -धीरे साफ करें। मुंह में एक तरफ से ब्रशिंग शुरू कर दूसरी तरफ जाएं। बारी-बारी से हर दांत को साफ करें। दांतों और मसूड़ों के जोड़ों की सफाई भी ढंग से करें। बच्चों के दूध् के दांत अगर खराब हो जाएं, तो बाद में पिफर टेढ़े-मेढ़े दांत निकलते हैं, जोकि चेहरे की खूबसूरती बिगाड़ते हैं।
जीभ की सफाई जरूरीः जीभ को क्लीनर और ब्रश दोनों से साफ किया जा सकता है। टंग क्लीनर का इस्तेमाल इस तरह करें कि खून न निकले।
कैसा ब्रश सहीः ब्रश नरम और आगे से पतला होना चाहिए। करीब दो-तीन महीने में या जब ब्रसल्स पफैल जाएं, तो ब्रश बदल देना चाहिए।
टूथ पेस्ट की भूमिकाः दांतों की सफाई में टूथपेस्ट की ज्यादा भूमिका नहीं होती। यह एक मीडियम है, जो लुब्रिकेशन, फॉमिंग और फ्रेशनिंग का काम करता है। असली एक्शन ब्रश करता है, लेकिन पिफर भी अगर टूथपेस्ट का इस्तेमाल करें, तो उसमें फलॉराइड होना चाहिए। यह दांतों में कीड़ा लगने से बचाता है। पिपरमेंट वगैरह से ताजगी का अहसास होता है। टूथपेस्ट मटर के दाने जितना लेना कापफी होता है।
माउथ वॉशः मुंह में अच्छी खुश्बू का अहसास कराता है। हाइजीन के लिहाज से अच्छा है, लेकिन इसका ज्यादा इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। रात को दूध् पीने के बाद मुंह जरूर साफ करें।





डा. अमित कु. सक्सेना बीडीएस
कंसल्टेंट ओरो-डेन्टल सर्जन
लेक्चरॉर- इंस्टीट्यूट ऑफ डेन्टल साइंस


1 comments:

FAHEEM QARAR said...

welcome

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