कविता : वृक्षों से कुछ शिक्षा लें लें,


वृक्षों से कुछ शिक्षा ले लें




















वृक्षों से कुछ शिक्षा ले लें,
फल आये तो सब को दें दें।
फूल खिले तो कोई चुन ले,
परमारथ की चादर बुन ले।
इनसे दाल ,अनाज उगायें,
सब्जी, फल और तिलहन पायें।
गोंद, लाख, कपास सुयोगी ,
पेड़-पौध कितने उपयोगी।
कभी उर्वरक इनसे पायें,
जंगल बादल, बारिश लायें।
धरती को उपजाऊ कर दें,
और जीवन में खुशियाँ भर दें।
जन जीवन इन पर है निर्भर,
इनकी सेवा नित कर -नित कर .
नन्मुन -चुनमुन ये हरियाली ,
मानव जन को सदा निराली।

            शिखा चन्द्रा 

331,पवन विहार बरेली 
9411913104


1 comments:

दीनदयाल शर्मा said...

kavita bahut hi acchi ban padi hai.hardik badhaee....lekin iski last ki 2 panktiyan jmi nhin...thodi aur mehnat ki jarurat hai..kavita aur bhi sundar aur asardaar ho jayegi..

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