कविता : अक्कड़-बक्कड़ बम्बे बो

अक्कड़-बक्कड़ बम्बे बो



अक्कड़-बक्कड़ बम्बे बो
आसमान में बादल सौ ।
सौ बादल हैं प्यारे
रंग हैं जिनके न्यारे ।

हर बादल की भेड़ें सौ
हर भेड़ के रंग हैं दो ।
भेड़ें दौड़ लगाती हैं
नहीं पकड़ में आती हैं ।

बादल थककर चूर हुआ
रोने को मज़बूर हुआ ।
आँसू धरती पर आए
नन्हें पौधे हरषाए ।

रामेश्वर कम्बोज हिमांशु

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