कविता : तितली रानी-तितली रानी



















तितली रानी-तितली रानी,

करती हो, दिन भर मनमानी।


बच्चों से क्यों डरती हो?


खुले गगन में उड़ती हो।


रंग-बिरंगे पंख तुम्हारे,


सुन्दर-सुन्दर, प्यारे-प्यारे।


इन पंखों पर हमें बिठाओ,


दूर गगन की सैर कराओ।



















   

    - रोहित अग्रवाल

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