विज्ञान जाति धर्म के आधार पर नहीं करता है भेदभाव



अल्मोड़ा । साहित्यकारों को बच्चों के लिए बाल मनोविज्ञान पर आधारित वैज्ञानिक एवं तर्क संगत रचनाएं तैयार करनी चाहिए । मीडिया को भी अतार्किक एवं अवैज्ञानिक सामग्री देने से बचना चाहिए । विज्ञान लिंग, जाति एवं धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं करता है ये बात बच्चों को बताई जानी चाहिए । ये बात वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं डी.आर.डी.ओ. के पूर्व निदेशक डॉ. एम.सी. जोशी ने उत्तराखंड राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिक परिषद के सहयोग से बालसाहित्य शोध एवं संवर्धन समिति अल्मोड़ा द्वारा उत्तराखंड सेवा निधि में आयोजित एक कार्यशाला में कही गई । बालसाहित्य में विज्ञान लेखन कार्यशाला को संबोधित करते हुए डॉ. जोशी ने कहा कि पर्वतीय क्षेत्र में बच्चों को बचपन से ही भूत का भय दिखाया जाता है । ये भय बच्चों के मन में इतना गहरा हो जाता है कि बड़े होकर भी यह डर लोगों को सताता है । आज समूचे पहाड़ में भूत पूजा के नाम से लोग परेशान हैं । इस स्थिति को तब और अधिक बल मिलता है जब मीडिया स्कूल में बच्चों को भूत लगने एवं स्कूल प्रशासकों द्वारा स्कूल में जागर के समाचारों को प्रमुखता से प्रकाशित एवं प्रसारित करता है ं। स्कूल प्रशासन बच्चों के बीमार होने पर जब डॉक्टर को बुलाने के बजाय ओझा को बुलाता है तो शिक्षाविदों की वैज्ञानिक जागरूकता का अंदाज लगता है । इसलिए बच्चों के साथ ही शिक्षकों, अभिभावकों एवं साहित्यकारों को वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाना होगा ।




रंगकर्मी एवं साहित्यकार नंदकिशोर हटवाल ने कहा कि बालसाहित्य में यथार्थ के साथ ही कल्पना का समावेश होना जरूरी है । उन्होंने कहा कि आज के परिवेश में लोक कथाओं एवं परिकथाओं के माध्यम से बच्चों में वैज्ञानिक सोच जाग्रत करने की दिशा में सार्थक प्रयास किया जाना चाहिए। विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान अल्मोड़ा के निदेशक डॉ. जे. सी. भट्ट ने बच्चों को वैज्ञानिक सोच आधारित सामग्री देने की बात कही ।भारत ज्ञान विज्ञान समिति देहरादून के महासचिव विजय भट्ट ने कहा कि हमारे समाज में आदिकाल से प्रचलित पहेलियां बच्चों को सोचने एवं तर्क करने का अवसर प्रदान करती हैं , उन्हांेने कहा कि आज के दौर में साहित्यकार विज्ञान पहेलियां बच्चों के लिए तैयार कर रहे हैं जो कि समय की मांग के अनुरूप अच्छा प्रयास है ।




उत्तराखंड पर्यावरण संस्थान के निदेशक पद्मश्री ललित पाण्डे, बालप्रहरी संपादक उदय किरौला , कुमाऊं विश्वविद्यालय ंिहंदी विभाग की प्रो. दिवा भट्ट, प्रो. जगतसिंह बिष्ट, डॉ. दीपा गोबाड़ी,बालसाहित्यकार आशा शैली, नवीन डिमरी’बादल’,डॉ. हेम दुबे,डॉ. पीतांबर अवस्थी, शशांक मिश्र, गोविंदबल्लभ बहुगुणा, खुशालसिंह खनी,खेमकरन सोमन, प्रकाश जोशी,साधना अग्रवाल, मंजू पांडे’उदिता’ आदि ने संबोधित किया । कार्यशाला में बच्चों के लिए लिखी गई बाल विज्ञान कविताओं का पाठ भी हुआ । इस अवसर पर आजादी से पूर्व प्रकाशित बाल पत्रिका बालसखा साहित समूचे देश से प्रकाशित 50 बाल विज्ञान पत्रिकाओं की प्रदर्शनी भी बालसाहित्य संस्थान के सौजन्य से लगाई गई थी ।




(प्रकाश जोशी)




सह संपादक बालप्रहरी




अल्मोड़ा,उत्तराखंड

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